बिजय चौरसिया बोले – रिम्स वार्डों में दलालों-बिचौलियों को घुसने की खुली छूट, लेकिन पत्रकारों पर प्रतिबंध

रांची
झारखंड में भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता बिजय चौरसिया ने हेमंत सरकार के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी के द्वारा यूट्यूबरों और पत्रकारों पर दिए आदेश पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। चौरसिया ने कहा कि एक तरफ राज्य के स्वास्थ्य केंद्रों में मंत्री ने दलालों, बिचौलियों के हस्तक्षेप और प्रवेश पर खुली छूट दे रखी है। दूसरी ओर सच्चाई उजागर करते राज्य के यूट्यूबरों और पत्रकारों पर प्रतिबंध लगाने का तुगलकी फरमान जारी किए हैं।
"सरकार अपनी हीं नाकामियों से डरी हुई है"
चौरसिया ने कहा कि सरकार अपनी हीं नाकामियों से डरी हुई है और चीजों को सुधारने के बजाय उसे छिपाने के घृणित प्रयास में लगी है। चौरसिया ने कहा, झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने अपने बड़बोले स्वास्थ्य मंत्री को आगे करते हुए सेंसरशिप की जनविरोधी कदम उठाया है। स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी का वह काला फरमान, जिसमें यूट्यूबर्स और तथाकथित 'अनधिकृत' पत्रकारों के सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में प्रवेश और समाचार संकलन पर प्रतिबंध लगाया गया है, प्रेस की स्वतंत्रता, लोकतंत्र और जनता के सूचना के अधिकार पर क्रूर प्रहार है। कहा यह सेंसरशिप का नंगा नाच न केवल हेमंत सरकार की नाकामियों और भ्रष्टाचार को छिपाने की साजिश है, बल्कि दलालों-बिचौलियों को संरक्षण देने की उसकी कुत्सित मंशा को भी उजागर करता है।
"झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त है"
चौरसिया ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी इस फरमान की कड़े शब्दों में निंदा करती है और इसे शीघ्र वापस लेने की मांग करती है। चौरसिया ने कहा, यह सेंसरशिप लोकतंत्र पर हमला है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19(1)(ए) अभिव्यक्ति और प्रेस की स्वतंत्रता की गारंटी देता है। यूट्यूबर्स और स्वतंत्र पत्रकार डिजिटल युग में जनता की आवाज बनकर सरकार की नाकामियों को बेनकाब करते हैं। इसे सेंसरशिप के जरिए उन्हें 'अनधिकृत' कहकर दबाना संवैधानिक मूल्यों की हत्या और तालिबानी मानसिकता का प्रमाण है। यह हेमंत सरकार की वह डरपोक मानसिकता उजागर करता है, जो सच्चाई से भाग रही है। उन्होंने कहा, झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त है। रिम्स में नवजात शिशुओं की मौत, दवाइयों-बेड की कमी और चिकित्सकों की लापरवाही रोजमर्रा की बात है। केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना, जो गरीबों को मुफ्त इलाज का हक देती है, को हेमंत सरकार ने जानबूझकर बाधित कर लाखों आदिवासियों और गरीबों से उनका अधिकार छीनने का कार्य कर रही है।